
न रंज-ओ-गम होंगे, न सिकवे-गिले होंगें
वतन की सर-जमीं पे, चाँद के दीदार जब होंगें।
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क्या सुबह - क्या शाम होगी, हर घड़ी बस ईद होगी
न कोई हिन्दू - न मुसलमां होगा, दिलों में ईद का जश्न होगा।
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रंजिसों को दफ़न कर, कर लें तौबा गुनाहों से
चलो मिलकर करें सजदे, वतन को आस है हमसे।
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क्या तेरा - क्या मेरा, हर जगह है खुदा का बसेरा
आज ईद है, चलो मिलकर सजाएं एक नया सबेरा।
12 comments:
सभी सेर बहुत सुंदर जी.
क्या तेरा - क्या मेरा, हर जगह है खुदा का बसेरा
आज ईद है, चलो मिलकर सजाएं एक नया सबेरा।
ईद की बहुत-बहुत मुबारकबाद!
मेरा लेख:
ईद मुबारक!
न कोई चाह है,
न कोई मुरीद है,
दीवानों के लिए,
हर शाम दिवाली,
और हर रात ईद है !
बहुत अच्छे भाव हैं उदय भाई.
आपको ईद मुबारक.
सुन्दर शेर.
ईद व गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनांए.
सबको ईद व गणेश चतुर्थी की बधाई।
ईद व गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनांए.
sundar soch k liye badhai...
क्या तेरा - क्या मेरा, हर जगह है खुदा का बसेरा
आज ईद है, चलो मिलकर सजाएं एक नया सबेरा।
Bahut khoobsurat soch!
ईद व गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनांए.
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
हिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है।
देसिल बयना – 3"जिसका काम उसी को साजे ! कोई और करे तो डंडा बाजे !!", राजभाषा हिन्दी पर करण समस्तीपुरी की प्रस्तुति, पधारें
ईद की बहुत-बहुत मुबारकबाद ....
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