हे कृष्ण ... समय बदल गया है न जुएँ की चौपाल है, न कौरव-पांडव की हार-जीत है, न चीर है और न ही चीरहरण का माहौल है ... इसलिए ही मैंने खुद को बदल लिया है, अब मैं महाभारत की द्रोपदी नहीं हूँ आधुनिक भारत की प्रिंयका हूँ ... बे-धड़क घूमती हूँ कम-से-कम कपड़ों में, पार्टियों में, माल में, आफिस में, सब जगह मौज-ही-मौज है ... मेरे कम कपडे देख-देख कर लोग खूब आँखें सेंक रहे हैं, खूब मजे ले रहे हैं, ... क्या कहूं अब मुझे शर्म नहीं आती, बहुत अच्छा लगता है जब कोई मुझे सिर से पैर तक निहारता है ... आप कल जरुर आओगे मुझे पता है, मुझे आप का इंतज़ार रहेगा ... हे कृष्ण आप जरुर आना, कम से कम एक बार मुझे जरुर छेड़ जाना, मैं व्याकुल हूँ, आतुर हूँ, मैं ही आपकी आधुनिक भारत की राधा हूँ ... हे कृष्ण तुम कब आओगे !
... फोन की घंटी बजी ... स्वप्न टूटा ... नींद खुली ... हेलो कौन ... अरे करिश्मा तू ... ओ सिट तूने सब खराब कर दिया ... क्या हुआ ... कितना अच्छा स्वप्न देख रही थी कृष्ण से बातें कर रही थी ... चल छोड़ हर समय सपने में ही मत रहे कर, तैयार हो, आज कृष्ण जन्माष्टमी है मैं तुझे लेने आ रही हूँ ... क्यों, क्या हुआ ... आज बॉस को कृष्ण बनायेंगे और हम दोनों राधा बन कर उसको लूटेंगे ... नहीं नहीं बॉस कहीं उलटा हमको ही न लूट ले, देखती नहीं उसकी कैसे लार टपकती है मुझे और तुझे देख कर ... अरे वो कुछ नहीं कर पायेगा अपन साथ में जो रहेंगे ... नहीं, आज उलटा-सुलटा कुछ नहीं करेंगे, आज कृष्ण जरुर आयेंगे, मेरा स्वप्न आज झूठा नहीं होगा, एक काम कर तू वो मिनी ड्रेस पहन कर आ जा फिर चलते हैं ...
... दोनों मिनी-से-मिनी ड्रेस पहन कर निकल पडी ... प्रियंका तेरा ये क्या लाजिक है मिनी ड्रेस पहनने का ... अरे तू नहीं समझेगी, याद है कृष्ण कैसे छिप-छिप कर गोपियों को नहाते देखते थे, कैसे निहारते रहते थे, आज अपन दोनों ने जो मिनी ड्रेसेस पहनी हैं उन्हें देखकर कृष्ण जरुर आयेंगे, कम से कम एक बार हमें छेड़ जायेंगे तो अपना जीवन सार्थक हो जाएगा, हे कृष्ण तुम कब आओगे ! ... वो सब तो ठीक है कहीं कोई लफंगा आकर न छेड़ जाए ! देख नहीं रही अपनी ड्रेस को ! क्या क्या झलक रहा है ! ... अरे किसी की हिम्मत नहीं होगी अपने से पंगा लेने की ...
... तभी अचानक एक महाशय हाजिर ... घूर घूर कर सिर से पैर तक देखना शुरू ... अबे ये घूर घूर के देखना बंद कर और निकल ले यहाँ से, समझा की नहीं समझा ... हाय स्वीट हार्ट, क्या मक्खन के माफिक चिकनी लग रही हो ... चल चल बहुत हो गया अब निकल ले, नहीं तो दूंगी एक चपाट ... अच्छा नाटक है पहले बुलाते हो फिर भगाते हो, ठीक है चले जाते है ... ऊफ कितनी क्यूट राधाएं हैं ... अरे प्रियंका तू क्या बडबडा रही थी किससे बातें कर रही थी ... देखा नहीं उस टपोरी को, कैसे लार टपक रही थी उसकी हमें देखकर ... कहाँ, कौन ... अरे तूने नहीं देखा ... नहीं यहाँ तो कोई नहीं आया ... ओफ हो, कहीं श्रीकृष्ण तो नहीं, देख देख वो जा रहे हैं ... अरे हाँ प्रियंका जा तो रहे हैं ... देखते देखते नज़रों से ओझल हो गए ... क्या वो अपने पास आये थे ... अरे हाँ यार अपन दोनों को छेड़ रहे थे ... क्या बोले बता ना ... अरे यार श्रीकृष्ण ने कहा - हाय स्वीट हार्ट, क्या मक्खन के माफिक चिकनी लग रही हो !!!
11 comments:
hehe, क्या करे बंधू, कृष्ण बाबा भी आखिर उतने ही भगवान हो सकते है, जितना की लेखक भाई लोग बना दें!
:) :)
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनांए.
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ।
Ab alochna ka star kya itna gir jayega? Mana apne samajik prachlan pr gambhir aur upyukt baat uthai hai parantu kyaa ise kisi pr, aadarsh vykti pr is tarah ungli uthana to sahitya aur vyang dono ka apmaan hai. Koi bhi baat chaahe jitni badi hi, jitni chhoti ho use 'pratikaatmak' dhang se hi kahnaa chahiye. Asha hai vichar karenge, anyathaa nahi lenge. koi logik ho to awashy awagat karaaite. aakhir ek laxman rekha bhi to honi chahiye.
वाह भाई बहुत सुंदर लिखा, लेकिन ध्यान रखे कही सच मै आप के ब्लांग पर आज की राधा ना आ जाये, ओर अगर आ गई तो तुम्हारे समेत हम सब की खटिया खडी कर देगे..... क्योकि आज की राधा आजाद है.... सब बंधनो से.
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जन्माष्टमी पर्व के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाये...
आज आपकी एक लाइना चिट्ठी चर्चा समयचक्र पर
जय श्रीकृष्ण.
बहुत ही शुभकामनायें।
अति सुंदर ....
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभ कामनाएँ...हरे कृष्ण
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनांए.
बेहतरीन लेखन के बधाई
शुभकामनाएं
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
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