बड़े ब्लॉगर - यार तुम लोग अभी अभी ब्लागिंग में आये हो जमने के लिए जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ेगी ।
छोटे ब्लॉगर - क्या क्या करना पडेगा भाई साहब ।
बड़े ब्लॉगर - सबसे पहले तो स्थापित ब्लागरों के संपर्क में रहना पडेगा तथा उनके ब्लॉग-पोस्ट पर निस्वार्थ भाव से टिप्पणी करनी पड़ेंगी, पोस्ट अच्छी हो या ... ।
छोटे ब्लॉगर - हां समझ गया भैया, और क्या करना पडेगा ?
बड़े ब्लॉगर - दो-चार धुरंधर ब्लागरों को अपना गुरु मान लेना,जल्द ही ब्लागिंग में स्थापित हो जाओगे और तुम्हारी रेंकिंग भी वे ऊपर कर देंगे ।
छोटे ब्लॉगर - भैया ये रेंकिंग ऊपर कर देना उनके हाँथ में रहता है ?
बड़े ब्लॉगर - और नहीं तो क्या, उनके बांये हांथ का खेल है वे जिस ब्लॉग को चाहें दना-दन ऊपर ले जा सकते हैं , अब ये मत पूछना की ऐसा कैसे करते हैं जब साथ में रहोगे तो सब सीख जाओगे ।
छोटे ब्लॉगर - भैया एक बात और बता देते ... मैं अच्छा लिख नहीं पाता हूं ... क्या मेरी पोस्टें भी ऊपर हो जायेंगी ?
बड़े ब्लॉगर - उसकी चिंता तुम छोड़ दो ... हम जिसे चाहें उसे व उसकी पोस्ट को ऊपर ले जा सकते हैं ... तुम जब कभी भी देखोगे जितनी पोस्ट ऊपर रहती हैं ... उसमें लगभग ८० प्रतिशत "सड़ी-गली" पोस्टें ही ऊपर रहती हैं ... हम लोग अच्छी व प्रभावशाली पोस्टों को ऊपर चढ़ने ही नहीं देते ।
छोटे ब्लॉगर - धन्य हैं आप लोग .... और धन्य है आपकी ब्लागरूपी मायानगरी .... आपकी इसलिए, क्योंकि आप लोग अप्रत्यक्ष रूप से संचालित कर रहे हैं ... मैंने अपना पहला गुरु तो आप को मान लिया है, दूसरा,तीसरा,चौथा कौन कौन रहेगा आप ही बता दें ... मैं सीधा जाकर उनके चरणों मैं बैठ जाता हूँ ... मैं पुन: हाजिर होता हूँ आपका आशीर्वाद प्राप्त करने ... दंडवत प्रणाम ।
20 comments:
मैं भी आपको गुरु मान लेता हूँ...दंडवत प्रणाम । ///// कुछ भला करो प्रभु!!!
जय जय हो गुरु
आपकी लीला अपरम्पार है।
डम डम डम
जोरदार व्यंग । जय हो गुरू ।
जय हो, स्वामी गुरूआनंद तीर्थ महाराज, ब्लॉगगुरू की जय हो, उन्हीं के इशारे पर यह समस्त आभासी ब्लॉगजगत संचालित है वो जिसको चाहें उपर उठा दे जिसको चाहें धूल चंटा दें ....
जय हो, स्वामी गुरूआनंद तीर्थ महाराज की जय हो. .... पर ये पोस्ट या ब्लॉग उपर जाना क्या कोई अंतिम लक्ष्य है, क्या ब्लॉगजगत में दबदबा कायम रखने के जुगत से भारत रत्न मिल जाएगा .... हो सकता है मिल जाए ... जय जय ब्लॉगिंग. .... फोड़ दे बाजा ऐसे चेलों और गुरू महराजों का.
... उदय भाई जिन्दाबाद ...
हरेली तिहार के आप ला गाड़ा गाड़ा बधई.
ऊपर ?
वहां से लौट कर आना हो पायेगा :)
लो जी गुरु तो मान लिया आपको अब मेरी पोस्ट का कुछ भला तो कीजिये
Ha,ha,ha! Jay jaykaar!
मेरे गुरुदेव समीर जी ने आपको अपना गुरु माना इसलिए आप मेरे भी गुरु...
वैसे गम़ (मुद्दे) और भी है ज़माने में लिखने को ब्लॉगिंग और ब्लॉगरों के सिवा...
जय हिंद...
बढ़िया सामयिक व्यंग्य है उदय जी शुभकामनायें !
बढिया व्यंग्य।
जय हो गुरूदेव की.
रामराम.
सामयिक व्यंग्य है,,,जय हो,,,
बहुत बढ़िया व्यंग्य है! आप इसे पिछले कुछ महीनों से बिलानागा बारंबार पोस्ट करते आ रहे हैं. आपके जीवट को साधुवाद! एक दिन दुनिया मान जायेगी आपके इस प्रयास की महत्ता को!
क्या उदय जी .......आप भी न ..
हमें लगा कि दोनों के बीच कोई ट्वेंटी ट्वेंटी मैच की कोई घोशणा वैगेरह है ..हम तो मैच का टिकट बुक कराने आए थे ...आपने तो पिक्चर ही द एंड कर दी ।
मुझ जैसे दो कौड़ी के ब्लोग्गर को .... भी कोई ऊपर पहुंचा दे... भगवन...
बढ़िया सामयिक व्यंग्य है उदय जी
अच्छा , ऐसा भी होता है! रोचक पोस्ट है।
घुघूती बासूती
गुरु जी, मुझे भी अपना शिष्य मान लें
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