................................................
मंदिर-मस्जिद तो हम बहुत बना लेंगे
पर दिलों में जगह ईश्वर को हम कब देंगे ।
...............................................
मंदिर-मस्जिद तो हम बहुत बना लेंगे
पर दिलों में जगह ईश्वर को हम कब देंगे ।
...............................................
14 comments:
bahut prasangik sawaal... saadhuvaad.
मजहब इन दिनों बीमार सा है 'मजाल',
किसी से कह दिया था परहेज कर खुदा से.
बेहतर !! सुन्दर रचना !
समय हों तो ज़रूर पढ़ें:
पैसे से खलनायकी सफ़र कबाड़ का http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_26.html
शहरोज़
Phir ek baar lajawaab sher!
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
no doubt, ekdam jabardast!
बहुत बढिया!
NICE
बहुत अच्छा लिखा है....
चलो इस बात को हम यूँ पूरा करते हैं...
जिस दिन ईश्रर को मन में हम जगह देंगे
मन्दर-मस्जित बनाने की जरूरत भी न समझेंगे
ekdam jabardast mast
बस यही तो आसान नही है उदय जी ....
बस यही तो आसान नही है उदय जी ....
बस यही तो आसान नही है उदय जी ....
बहुत अच्छा लिखा है....
Post a Comment