... मन में उथल-पुथल चल रही थी और रात गुजर रही थी ... तभी अचानक एक औरत के चीखने व एक बुढ्डे की बचाओ बचाओ की आवाज ने अपुन का ध्यान भंग कर दिया ... एक "गुंडा' और उसके चार चेले उस महिला को जबरदस्ती पकड कर खींच कर ले जा रहे थे ... वह बचाओ बचाओ चिल्ला रही थी कोई आस-पास उसकी मदद करने वाला नहीं था ... बुढडा दौडकर मेरे पैरों में आकर गिर पडा और हाथ जोडकर दया की भीख मांगने लगा ... मेरी बेटी को उन गुंडो से बचाओ बेटा ... वे बदमाश उसकी इज्जत लूट लेंगे ... मेरे पास पूरे बीस हजार रुपये हैं सब तुमको दे दूंगा मेरी बेटी की इज्जत बचा दे बेटा ...
... उसकी बातें सुनकर मेरे अंदर करेंट सा दौड गया ... उठकर उन गुंडों को आवाज देकर रोका ... पास जाकर लडकी को छोडने का बोला तो ... उस हराम के पिल्ले गुंडे ने सीधा चाकू निकाल कर मुझ पर तान दिया ... चाकू को देखकर मेरा खून खौल उठा ... फ़िर आव देखा न ताव साले का हाथ पकड कर घुमाकर गर्दन पकड कर मुरकेट दिया ... एक पल में साले ने छटपटा के दम तोड दिया ... लडकी को लाकर उसके बाप के हवाले किया तो उन दोनों ने अपुन के पैर पकड लिये और बोले आप "भगवान" हो हमारे लिये ... अपुन बोला चल चल ठीक है जाओ तुम लोग ... बुढ्डे ने अपनी धोती के कमर में बंधी एक पोटली से पूरे के पूरे बीस हजार रुपये निकाल कर मेरे हाथ में रख दिये ...
... अपुन ने मात्र उससे एक हज्जार रुपया लिया और उन्हें भेज दिया ... जाते जाते वे अपुन को "भगवान" कहते कह्ते चले गये ... उनके जाने के बाद ही उस गुंडे के चारों चेले आकर अपुन के पैरों में गिर गये ... "भगवान दादा" माफ़ कर दो अपुन लोगों से गल्ती हो गई आज से हम आप के चेले बनकर रहेंगे ... अबे घोंचू सालो तुम लोग लडकी की इज्जत पर हाथ डालते हो भाग जाओ नहींच्च तो तुम चारों को भी टपका डालूंगा ... गल्ती हो गई बॉस इसमें हमारा दोष नहीं है जिसका था उसको तो आप ने टपका हीच्च डाला है ... चल चल ठीक है अपुन को पुलिस का लफ़डा नहीं मांगता .... जाओ उसकी लाश को कहीं पटरी-सटरी पे फ़ेंक के ठिकाने लगा देना ....
... हां एक बात और ... ये १०० , १०० रुपये पकडो तुम लोग ... और ये १०० रुपये और ... वापस आते समय अपुन के लिये कुछ अच्छा खाना-वाना लेते आना ... ओके बॉस ... उनके जाने के बाद अपुन फ़िर चिंता में बैठ गया ... ये क्या हो गया अपुन ने दूसरे को टपका डाला मतलब "दूसरी सुपाडी" ... ये क्या हो रहेला है अगर ऎसाईच्च चलता रहा तो ... अपुन ने अपने आप को संभाला और मजबूत किया कि अब टपकाने-पपकाने का नहीं ... गुस्से को कंट्रोल करने का ... अपुन ने अपने आप से "गाड प्रामिस" किया कि ये "आखिरी सुपाडी" है ... बेंच पर बैठकर कल के बारे में सोचने लगा ... पर उस बुढ्डे व लडकी के मुंह से निकले शब्द "आप भगवान हो" न जाने क्यों मेरे कानों में गूंज रहे थे ..... !!!
17 comments:
बढिया स्क्रिप्ट है 'आखिरी सुपाडी' का.
भाई साहब आपने इस पोस्ट में स्पष्ट किया कि यह आपके द्वारा लिखे जा रहे किताब के अंश हैं और इस पर 'डॉन' भी बनने वाली है तब जान में जान आई नहीं तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि 'या इलाही ये माज़रा क्या है....'
धन्यवाद.
अंकल अंकल अपुन को भी रोल मांगता है।
आज अपुन इस कहानी को उपर ले जायेगा।
अपुन को पता है कोइ कायको नही टिपिया रहा है।
अपुन जानता है सालिड कहानी चल रहेला है।
अपुन जानता है सालिड कहानी चल रहेला है।
अपुन जानता है सालिड कहानी चल रहेला है।
अपुन जानता है सालिड कहानी चल रहेला है।
अपुन जानता है सालिड कहानी चल रहेला है।
अपुन जानता है सालिड कहानी चल रहेला है।
अपुन जानता है सालिड कहानी चल रहेला है।
यह सुपाडी तो सच्ची लगी, अच्छी लगी धन्यवाद
शानदार पोस्ट। हमेशा की तरह। बहुत बढिय़ा पटकथा। हालांकि कुछ शब्द समझ नहीं पाया पर भावों से समझने की कोशिश की है। नीचे काल्पनिक न भी लिखते तो भी क्या था साहब। सब जानते ही हैं। वैसे शानदार रचना के लिए बधाई।
अपुन को कहानी अच्छी लागीच्च भाई ...आभार
रोचक...जारी रखें
कहानी रापचिक लगी आपुन को
वित्तीय स्वतंत्रता पाने के लिये ७ महत्वपूर्ण विशेष बातें [Important things to get financial freedom…]
good
achchhi kahani
Post a Comment