चलिये आज चर्चा करते हैं एक सत्य घटना की ... हुआ ये कि कल रात लगभग १२.३० बजे से १.३० बजे के बीच जब मैं इंटरनेट पर ब्लागिंग का लुत्फ़ उठा रहा था ... मैंने अपने ब्लाग "कडुवा सच" पर मोडिफ़िकेशन के प्रयोग शुरु किये हुये थे ... संभवत: फ़ालोवर वाली पोस्ट लगाकर कुछ गुडा-भाग कर रहा था तभी अपने "उमडत घुमडत विचार" वाले आदरणीय सूर्यकांत गुप्ता जी की चटपटाती दो टिप्पणियां आ गईं ... उन्होंने मुझे डी लिट की उपाधि से सम्मानित कर दिया था ... तब मैं समझ गया कि आज मोडिफ़िकेशन के चक्कर में कुछ अनर्थ हो गया है ... मैं सीधा उनके ब्लाग पर पहुंच कर मान मनऊवल में लग गया ... उनकी पोस्ट को, जो एक शहीद के नाम पर थी किसी ने तबज्जो नही दिया था मुझे भी गुस्सा आ गया ... मैंने ठान लिया आज इसको ऊपर पहुंचा कर ही दम लूंगा ... मैं उस पोस्ट पर टिप्पणी ठोकने में मशगूल हो गया ... लगभग ठीक उसी समय ही एक और आदरणीय भाई गिरीश बिल्लोरे जी भी अचानक प्रगट होगर "चैट बाक्स" पर जगजीत सिंह की एक गजल सुनने का निर्देश दे दिये ... फ़िर क्या था मौज-मस्ती चल रही थी ...
... इसी बीच जिस स्टूल पर बैठकर मैं कम्प्युटर का आनंद लेता हूं ... वह स्टूल हिलने लगा ... मैं आश्चर्यचकित हुआ ये कैसे संभव है ... ठोस स्टूल हिल कैसे सकता है ... मैंने बैठे बैठे हिला कर देखा नहीं हिला ... मैं पुन: मौज-मस्ती में मशगूल हो गया ... कुछ देर बाद स्टूल फ़िर हिलने लगा ... मेरे कुछ समझ में नहीं आया ... कि क्या हो रहा है ... फ़िर मौज-मस्ती कर-कुरा के मैं सो गया ... संभवत: सोने के दौरान भी एक बार पलंग वैसे ही हिला ... पर मैं नींद जैसी अवस्था में आ गया था ध्यान नहीं दिया ...
... आज न्यूज पेपर पढा तो देखा कि ... निकोबार द्वीप में आये भूकंप के झटके के असर बिलासपुर छत्तीसगढ में भी देखे गये ... मैं आश्चर्यचकित हो गया ... सोच में पढ गया कि कल रात मेरा स्टूल जो हिल रहा था वो भूकंप के झटके के कारण था .... मतलब मैंने मौज-मस्ती के दरम्यान भूकंप के झटकों का आनंद ले लिया ... घोर, घनघोर, महाघोर आश्चर्य .... मेरे आदरणीय साथियों सूर्यकांत गुप्ता जी तथा गिरीश बिल्लोरे जी आप भी कल की रात जिस समय हम आपस में इंटरनेट पर संपर्क में थे उस समय को गंभीरता पूर्वक याद करो ... हो सकता है आपने भी हलके-पुलके झटके (हिलडुल) को महसूस किया था क्या ???
17 comments:
शानदार पोस्ट है...
magar darna nahi !!!!!!!!!
@Shekhar Kumawat
... आप बहादुर ब्लागर साथी हैं ... डर को आपके पास ट्रांस्फ़र कर दिया जायेगा !!!!
शायद इस भूकम्प के कारण ही फोलोवर वाली जगह मुझे नहीं दिखी .. बाद में मिली मुझे !!
@संगीता पुरी
...अरे हां ... आप भी जाग रहीं थी!!!
jaankar khushee hui ki aap tathaa stool dono salaamat hain..post padh kar puraanee haveli aur bees saal baad jaisee filmon ke seen yaad aa gaye
@योगेश शर्मा
... ये पोस्ट १००% सत्य है कोई फ़िल्मी कहानी या हारर सीन नहीं है!!!!
कुछ मित्रों से आज बातचीत हुई वे बता रहे थे कि उनका स्टूल भी देर रात को हिल रहा था।
हरी-हरी को लालपरी के साथ लेने पर कई बार आकाश भी हिलता-डुलता नजर आता है।
पर आप ऐसे नहीं हो... हो सकता है पड़ोसी ने ग्रहण की हो..
हा हा हा, स्टूल डोलिस कि घरती.
आपके कमेंट के कारन सूर्यकांत भईया के पोस्ट तो चिट्ठाभगत में चढ़ गे अउ मोर पोस्ट के कारन वो ह दयाबंद के टंकी मा चढ़ गे.
अब खोजव डाक्टर! :):)
लीजिये मैं आ गया
इधर सामान्य था वैसे इस शहर में भयंकर भूकम्प आ चुका है हल्के-फ़ुल्के झटकों का अहसास नहीं हुआ.कूलर्स भी जो ट्रकों की तरह चलते हैं का प्रभाव भी ऐसी घटनाओं से बेख़बर रखता है. यहां यही स्थिति थी. ईश्वर विपदा से सबको बचाए.
ऐसा भी होता है।
आपके मज़े हैं...झूला झूलते हुए भी पोस्ट लिखते हैं :-)
तभी कल रात को जब मैं गाड़ी चला रहा था तो
स्टेयरिंग बहुत हिल रहा था। पावर स्टेयरिंग होने के बाद भी।
अब कारण पता चला।
जय जोहार
चलिए, ईश्वर की बहुत कृपा कि कोई जान माल की हानि नहीं हुई.
Bhukamp ka tandav yahan Haiti me dekh chuke hain . Andmaan ke Bhukamp ki khabar hame hilaa rahi thi, jab aap hilne ke baad nind ka anand le rahe thei.Ishwar in aapdaaon se ham sabko bachaaye.
कडुआ सच पर मीठा सच
चलो खैर जानकार अच्छा लगा की कुछ और नुक्सान नहीं हुआ
आकाश भी हिलता-डुलता नजर आता है।
Post a Comment