जीवन के छोटे से पथ पर
कदमों के छोटे से रथ पर
बढते हैं हम जीवन पथ पर
पग-पग रखकर बढते हैं हम
ऊंचे-नीचे जीवन पथ पर
मिलते हैं कुछ ऎसे पत्थर
देते हैं जो हमको टक्कर
खाते ठोकर - देते ठोकर
टक्कर देते बढते हैं हम
जीवन के छोटे से पथ पर
फ़िर मिलतीं कुछ पगडंडी हैं
पगडंडी पर मिलते कंकड
चुभते हैं पैरों को कंकड
छूट चले फ़िर पीछे कंकड
जीवन के छोटे से पथ पर
बढते बढते जीवन पथ पर
फ़िर मिलते मिट्टी के ढेले
ढेले भी कुछ अजब निराले
चुभते चुभते देते राहत
जीवन के छोटे से पथ पर
चलते चलते पहुंच रहे हैं
हम जीवन के सुन्दर पथ पर
इस पथ पर बिखरे हैं फ़ूल
मिले सुकूं सब को इस पथ पर
जीवन पथ पर ... जीवन पथ पर।
15 comments:
sundar...chaliye manzilein makaam tak pahunch hee gaye fir
waah sirji bahut sundar kavita...
khoobsurat path-darshan...
kunwar ji,
वाह .. बहुत सुंदर !!
जीवन का यह पथ अग्निपथ से कम नहीं। बहुत ही शानदार विचार।
वाह!! आनन्द आ गया.
आपकी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी....
क्या बात है? यह डगर ही कठिन है जिस पर चल लिया जाता है सहजता से।
चलते चलते पहुंच रहे हैं..हम जीवन के सुन्दर पथ पर..बढ़िया रचना
:)
बढिया रचना
आभार
नामकरण की शुभकामनाएं
आपकी चर्चा यहां भी है
सुन्दर रचना....जीवन का पथ ऐसे ही प्रशस्त रहे
Acharya ji parnaam..
आपकी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी...
सुन्दर रचना है
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गुलाबी कोंपलें
The Vinay Prajapati
आशा का संचार करती रचना ... प्रेरणा देती है बहुत ...
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