Friday, May 28, 2010

प्रेम-वासना

फ़ूल-खुशबू
रात-चांदनी
धरा-अंबर
हम-तुम

गीत -सुहाने
बातें-पुरानीं
नौंक - झौंक
हम-तुम

सर्द-हवाएं
गर्म-फ़िजाएं
तपता - बदन
हम-तुम

गर्म - सांसें
सर्द - बाहें
प्रेम-वासना
हम - तुम !

12 comments:

honesty project democracy said...

वाह उदय जी ,आज फिर बहुत दिन बाद बाजा फार दिए हो आप ,धाँसू कविता !!!!

अंजना said...

बढिया रचना...

संजय कुमार चौरसिया said...

sunder rachna

kshama said...

Yaad aaye kuchh beete din..ab lagta hai,wo sach the ya the sapne?

Ra said...

बढिया रचना...

राज भाटिय़ा said...

अजी आप की रचना पढ कर कुछ कुछ होता है....

माधव( Madhav) said...

बढिया रचना.

arvind said...

बढिया रचना...,vaise prem vaasanaa ko alag alag karate to acchaa thaa, yedi prem upaasanaa kar den to behtar.

M VERMA said...

आपकी रचना है कमाल
शायद भाव बयान करने के लिये शब्दों की उतनी जरूरत ही नहीं है
बहुत खूब

राजकुमार सोनी said...

अब क्या बोलूं.. सिर्फ इतना ही बोल सकता हूं कि हर विषय में मास्टरी है आपकी।

सूर्यकान्त गुप्ता said...

nice !

अर्चना तिवारी said...

सुन्दर रचना