Friday, April 16, 2010

चिट्ठा चर्चा ... "गुटर-गूं" ... फर्जी वाड़ा का बोलबाला !!

दो ब्लागर टेलीफ़ोन पर .... भैय्या प्रणाम ... हां अनुज बोलो ... भैय्या नई पोस्ट लगाया हूं "चर्चा" में ले लेना .... हां बिलकुल हो जायेगा आप निश्चिंत रहें ... हां जरा देखना आजकल कुछ लोग "चर्चा" के पीछे पड गये हैं चर्चा पर सबालिया निशान लगा रहे हैं, पता नहीं क्यों लोग अपने अपने में मस्त नहीं रहते, बेवजह ही हमारी "चर्चा" के पीछे पड रहे हैं ... भैय्या, लोग पीछे इसलिये पडने लगें हैं कि वो अपने आप को एक अच्छा लेखक समझ रहे हैं, पर वे ये भूल जाते हैं कि अच्छा लेखक वो होता है जो "छपने-छपाने" का माद्दा रखता है, जो छपता है वही तो लोग पडते हैं, लोग इस "कडुवे सच" को समझते क्यों नहीं हैं .... ठीक कह रहे हो अनुज, तुम्हारी बातों में दम है फ़िर भी जो लोग उछल रहे हैं उनको तो एक न एक दिन सबक सिखाना ही पडेगा .... भैय्या आप निश्चिंत रहें उनका भी बंठाधार लगाने की योजना बना रहे हैं, ठीक है भैय्या प्रणाम .... खुश रहो अनुज ... !

... तीन-चार दिन बाद पुन: फ़ोन ..... अनुज .... हां भैय्या प्रणाम ..... यार कुछ लिखो तुम्हारा ब्लाग खाली पडा है मुझे "चर्चा" लगानी है .... हां भैय्या वही सोच रहा हूं क्या लिखूं कुछ विषय समझ में नही आ रहा है .... अरे यार एक काम करो आजकल सानिया शादी, आईपीएल, नक्सलवाद पर खूब शोर मचा हुआ है किसी एक पर आठ-दस लाईन लिख कर एक-दो फ़ोटो लगा देना पोस्ट बन जायेगी ..... सही कहा भैय्या ये तो मेरे दिमाग में सूझ ही नहीं रहा था आज ही लगा देता हूं .... देर मत करना आज शाम तक ही लगा देना, रात में मुझे ड्राफ़्टिंग करना है कल सुबह ही "चर्चा" की पोस्ट लगाना है ... हां भैय्या हो जायेगा ... प्रणाम भैय्या ... खुश रहो ... !!

... दूसरे दिन "चर्चा" पर पोस्ट जारी .... पन्द्रह-बीस मिनट में ही "टिप्पणियों" की भरमार .... बढिया ... बहुत सुन्दर .... बहुत खूब ... सार्थक चर्चा ... समसामयिक पोस्टों की सारगर्भित चर्चा ... आभार .... बधाई ... धन्यवाद .... बगैरह बगैरह .... पुन: टेलीफ़ोन .... भैय्या आपने तो कमाल कर दिया क्या लिखते हो, क्या "चर्चा" का अंदाज है, छा गये भैय्या, आशिर्वाद बनाये रखना .... अरे खुश रहो अनुज ..... प्रणाम भैय्या ..... !!!!!

8 comments:

राजभाषा हिंदी said...

सच है... कड़ुवा है तो क्या हुआ?!

Sanjeet Tripathi said...

bhai sahab kab tak inhi sab me lage rahenge?

aap to poet aur lekhak hain na so kuchh creative writing bhi ho?

aise muddo par likhte rahenge to hits bhale hi jyada milenge lekin aapke pathak simat te chale jayenge, bas ek khas varg ke log hi pathak banenge aisa mujhe lagta hai, as i know this blogjagat...

aapko nahi lagta ki inhi sab rajniti me pad kar mool lekhan side ho raha hai?

mujhe to lagta hai ham yahan blog likhne aaye hain, in sab rajniti me padte rahenge to mool lekhan kaha hoga?

muaafi agar kuchh galat kah diya ho to, yahi baat aaj sham me rajkumar soni ji se bhi baat hui to unhe bhi kaha aur anil pusadkar jee se bhi,

baaki aap log bade ho mujhse, jaisa thik lage....


lage rahiye kahne ke alava kuchh nahi kah sakta fir to....

Randhir Singh Suman said...

nice

arvind said...

bilkul satik. kadva sach likha hai aapne.majedar...subhakamanaaye.

बसंती said...

अनुज तो आज लम्बी टिप्पणी कर गए,अभी भैय्या आते ही होंगे आपकी सोच और समझ का सट्टीपिकेट देने

पूनम श्रीवास्तव said...

bilkul kaduva sah hi likh hai aapne, saath hi saath padhkar majedar bhi laga.
poonam

राजकुमार सोनी said...

कोरी जी,
मुझे लगता है कि हमें अब चंपक-पराग और बालभारती के लिए ही लिखना चाहिए। मुझे भी यह सलाह दी गई है कि मैं किस तरह से रचनात्मक हो सकता हूं। अरे... भाई अब अखबार वाला फार्मूला यहां भी लागू करोगे कि अमुक विज्ञापनदाता है इसकी नहीं बजानी है तो हो गया। लिखने दो यार...। मैं बार-बार कहता हूं आज फिर कहता हूं.... कमजोर लोग आलोचना से डरते हैं। जो मजबूत होते हैं वे असहमति का जवाब लिख-पढ़कर देते हैं। और फिर यह कैसे तय होगा कि जो आदमी नकारात्मक लिखेगा वह क्रियेटिव नहीं होगा। हमने जिनकी छत्रछाया में लिखना-पढ़ना सीखा है उन्होंने तो हमें यही सिखाया है कि नेगेटिव एप्रोच पाजिटिव एप्रोच के ज्यादा करीब होता है। बहरहाल सुनते चलो। मैं तो मानता हूं कि सलाह की किसी की बुरी नहीं होती। हो सकता है कोई गर्मी की वजह से ऐसा कह रहा हो।

कुमार संभव said...

अरे सच बोलने से कौन रोक सकता है भाई ......... अब लगे भला कडुआ .....इतने बढ़िया पोस्ट के लिए बधाई ........ बेहद सरल भाषा का प्रयोग मजा अगया पढ़ कर..