Wednesday, February 24, 2010

लम्हें

अंधकार से इस जीवन में
तुम रोशनी बन कर आ जाओ
मेरे मन के अंधियारों में
एक प्रेम का दीप जला जाओ

खामोश ही बनकर कुछ कहना है
तो अपनी सुन्दर आंखों से, हां कह दो
फ़िर मैं तेरे मन के शब्दों को
खुद-ब-खुद पढ लूंगा

तुम अपने जीवन के कुछ "लम्हें"
मुझको दे दो
उन लम्हों से
मैं अपना जीवन जी लूंगा

हर लम्हे का, एक-एक जीवन कर
इस जीवन में, कई जीवन जी लूंगा

तुम कुछ लम्हें ..................।

16 comments:

Dev said...

बेहतरीन प्रस्तुति .......बंधाई

girish pankaj said...

kavita ek saadhana hai (achchhi kavita.) khushi hai ki aap us dishaa me nirantar aage barh rahe hai.

* મારી રચના * said...

sundar rachana...

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुन्दर रचना । आभार

रश्मि प्रभा... said...

खामोश ही बनकर कुछ कहना है
तो अपनी सुन्दर आंखों से, हां कह दो
......yah sach pyaara hai

Unknown said...

Bahut hi badiya ji......

VIKAS PANDEY

www.vicharokadarpan.blogspot.com

arvind said...

अंधकार से इस जीवन में
तुम रोशनी बन कर आ जाओ
मेरे मन के अंधियारों में
एक प्रेम का दीप जला जाओ
........बहुत सुन्दर रचना

डॉ टी एस दराल said...

हर लम्हे का, एक-एक जीवन कर
इस जीवन में, कई जीवन जी लूंगा

सुन्दर अभिव्यक्ति।

Anil Pusadkar said...

nice.

vandana gupta said...

हर लम्हे का, एक-एक जीवन कर
इस जीवन में, कई जीवन जी लूंगा

waah ----------sara saar inhi panktiyon mein samaya hai.

उम्मतें said...

सुन्दर प्रस्‍तुति ! आभार

Pramod Kumar Kush 'tanha' said...

तुम अपने जीवन के कुछ "लम्हें"
मुझको दे दो
उन लम्हों से
मैं अपना जीवन जी लूंगा

bahut khoob..badhaayee...
meray blog par aane aur amulya vichaar prastut karne ke liye aapka aabhaar...

राज भाटिय़ा said...

वाह वाह बहुत कुछ कह रही है आप की यह कविता, बहुत सुंदर
धन्यवाद

shama said...

खामोश ही बनकर कुछ कहना है
तो अपनी सुन्दर आंखों से, हां कह दो
फ़िर मैं तेरे मन के शब्दों को
खुद-ब-खुद पढ लूंगा
Sundar,nafees alfaaz!

kshama said...

अंधकार से इस जीवन में
तुम रोशनी बन कर आ जाओ
मेरे मन के अंधियारों में
एक प्रेम का दीप जला जाओ
Bahut khoob!
Holee kee anek shubhkamnayen!

kshama said...

Holee kee anek shubhkamnayen!