अंधकार से इस जीवन में
तुम रोशनी बन कर आ जाओ
मेरे मन के अंधियारों में
एक प्रेम का दीप जला जाओ
खामोश ही बनकर कुछ कहना है
तो अपनी सुन्दर आंखों से, हां कह दो
फ़िर मैं तेरे मन के शब्दों को
खुद-ब-खुद पढ लूंगा
तुम अपने जीवन के कुछ "लम्हें"
मुझको दे दो
उन लम्हों से
मैं अपना जीवन जी लूंगा
हर लम्हे का, एक-एक जीवन कर
इस जीवन में, कई जीवन जी लूंगा
तुम कुछ लम्हें ..................।
16 comments:
बेहतरीन प्रस्तुति .......बंधाई
kavita ek saadhana hai (achchhi kavita.) khushi hai ki aap us dishaa me nirantar aage barh rahe hai.
sundar rachana...
बहुत सुन्दर रचना । आभार
खामोश ही बनकर कुछ कहना है
तो अपनी सुन्दर आंखों से, हां कह दो
......yah sach pyaara hai
Bahut hi badiya ji......
VIKAS PANDEY
www.vicharokadarpan.blogspot.com
अंधकार से इस जीवन में
तुम रोशनी बन कर आ जाओ
मेरे मन के अंधियारों में
एक प्रेम का दीप जला जाओ
........बहुत सुन्दर रचना
हर लम्हे का, एक-एक जीवन कर
इस जीवन में, कई जीवन जी लूंगा
सुन्दर अभिव्यक्ति।
nice.
हर लम्हे का, एक-एक जीवन कर
इस जीवन में, कई जीवन जी लूंगा
waah ----------sara saar inhi panktiyon mein samaya hai.
सुन्दर प्रस्तुति ! आभार
तुम अपने जीवन के कुछ "लम्हें"
मुझको दे दो
उन लम्हों से
मैं अपना जीवन जी लूंगा
bahut khoob..badhaayee...
meray blog par aane aur amulya vichaar prastut karne ke liye aapka aabhaar...
वाह वाह बहुत कुछ कह रही है आप की यह कविता, बहुत सुंदर
धन्यवाद
खामोश ही बनकर कुछ कहना है
तो अपनी सुन्दर आंखों से, हां कह दो
फ़िर मैं तेरे मन के शब्दों को
खुद-ब-खुद पढ लूंगा
Sundar,nafees alfaaz!
अंधकार से इस जीवन में
तुम रोशनी बन कर आ जाओ
मेरे मन के अंधियारों में
एक प्रेम का दीप जला जाओ
Bahut khoob!
Holee kee anek shubhkamnayen!
Holee kee anek shubhkamnayen!
Post a Comment