"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Monday, June 1, 2009
शेर
शेर - 60 तेरी खामोशियों का, क्या मतलब समझें तुझे उम्मीद है, या इंतजार है । शेर - 59 वक्त गुजरे, तो गुजर जाये तेरे आने तक, इंतजार रहेगा हमको । शेर - 58 आसमां तक रोशनी चाहते क्यों हो घरों के अंधेरे तो दूर हों पहले ।
8 comments:
vaah lajavaav sher..tino sher apne aap me khoobsoorat par pahla aur aakhri sher dil ko chhoo gaya
आसमां तक रोशनी चाहते क्यों हो
घरों के अंधेरे तो दूर हों पहले
लाजवाब है हर शेर...........पर इसका जवाब नहीं
YUN MUKAMAAL SHE'R KAISE LIKHTE HAI AAP YAHI SOCH RAHAA HUN...
ARSH
वाह क्या बात है हर शेर एक से बढ कर एक.
धन्यवाद
वाह साहब वाह
kaphi achchha laga..ek sath tin tin sher padhne ko mile..
आपकी हर एक शेर एक से बढकर एक है!
teri khamoshiyon ka kya matlab samjhein
tujhe ummeed hai ya intzaar
lajwaab.......shandaar.bahut hi umda sher hai.baki sher bhi bahut hi badhiya hain.
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