"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
“स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के पूरक हैं आपस में कोई छोटा-बडा नही है किसी एक के बिना समाज की कल्पना निरर्थक है।”
Bhot gahri bat hai yeh agar koi samjhe to.....jahan ek dusre ka smman nahi hota wo ghr narak ban jata hai....!!
सच कहा आपने .सारी दिक्कत तो समझदारी की है .
बहुत ही अच्छी ओर सच्ची बात कही आप ने लेकिन हम मै से ही कई लोग यह सब बाते नही समझते.धन्यवाद
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3 comments:
Bhot gahri bat hai yeh agar koi samjhe to.....jahan ek dusre ka smman nahi hota wo ghr narak ban jata hai....!!
सच कहा आपने .
सारी दिक्कत तो समझदारी की है .
बहुत ही अच्छी ओर सच्ची बात कही आप ने लेकिन हम मै से ही कई लोग यह सब बाते नही समझते.
धन्यवाद
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