"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Friday, March 27, 2009
शेर - 25
कौन कहता है हिन्दू-मुस्लिम में फर्क है नहीं है फर्क जन्मों में - नहीं है फर्क रक्तों में फर्क है तो तेरी आँखों - तेरी बातों में फर्क है न हिन्दू भी अलग है, न मुस्लिम भी अलग है।
कौन कहता है हिन्दू-मुस्लिम में फर्क है नहीं है फर्क जन्मों में - नहीं है फर्क रक्तों में फर्क है तो तेरी आँखों - तेरी बातों में फर्क है न हिन्दू भी अलग है, न मुस्लिम भी अलग है।
mujhe lagta he jo peda hota he vo marta bhi he..farq aadmi ne peda kiya aour aadmi hi ise door karega.. aapki tarah sochvalo ka pratishat koi kam nahi he..intjaar kijiye soch saakaar bhi hogi, ek din
9 comments:
ye sab banaawati baaten hai ...sahi kaha jab banane wale ne fark nahi kiya to ham kaise kar sakte hai
बहुत खुब.
धन्यवाद
नहीं है फर्क जन्मों में - नहीं है फर्क रक्तों में
फर्क है तो तेरी आँखों - तेरी बातों में फर्क है
बहुत खुब.
धन्यवाद
कौन कहता है हिन्दू-मुस्लिम में फर्क है
नहीं है फर्क जन्मों में - नहीं है फर्क रक्तों में
फर्क है तो तेरी आँखों - तेरी बातों में फर्क है
न हिन्दू भी अलग है, न मुस्लिम भी अलग है।
बहुत गहरी बात कही आपने....!!
बहुत सुंदर रचना है।
हिन्दी साहित्य .....प्रयोग की दृष्टि से
Chunav ke is mahol me jab neta nafrat ki rotiyan senk rahe hain aapki rachna taaza hawa ke jhonke ke saman hai.
mujhe lagta he jo peda hota he vo marta bhi he..farq aadmi ne peda kiya aour aadmi hi ise door karega..
aapki tarah sochvalo ka pratishat koi kam nahi he..intjaar kijiye soch saakaar bhi hogi, ek din
बहुत बढ़िया।
very nice......
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