"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
खंदराओं में भटकने से , खुली जमीं का आसमाँ बेहतरवहाँ होता सुकूं तो, हम भी आतंकी बन गये होते।
पहले तो मे चोंका फ़िर ध्यान से पढा तो आप का शेर अच्छा लगा.धन्यवाद
वाह भाई वाह मज़ा आ गया
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2 comments:
पहले तो मे चोंका फ़िर ध्यान से पढा तो आप का शेर अच्छा लगा.
धन्यवाद
वाह भाई वाह मज़ा आ गया
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