"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
क्यों शर्म से उठती नहीं, पलकें तुम्हारी राह परफिर क्यों राह तकते हो, गुजर जाने के बाद।
अजी कोई दिल की बात तो कहना चाहता है कि... मुई शर्म कदम रोक लेती होगई...बहुत ही सुंदर शॆर कहा आप ने.धन्यवाद
saare sher apne aap mei misaal haiNapni-apni daastaan khud keh rahe haiN. . . .badhaaee........---MUFLIS---
बहुत बढिया सर अनुपम रचना
उदय भाई आप तो कमाल पर कमाल करते हो वाह
Post a Comment
4 comments:
अजी कोई दिल की बात तो कहना चाहता है कि... मुई शर्म कदम रोक लेती होगई...
बहुत ही सुंदर शॆर कहा आप ने.
धन्यवाद
saare sher apne aap mei misaal haiN
apni-apni daastaan khud keh rahe haiN. . . .
badhaaee........
---MUFLIS---
बहुत बढिया सर अनुपम रचना
उदय भाई आप तो कमाल पर कमाल करते हो वाह
Post a Comment