इंतज़ार में आँखे नम क्यों हुई भाई / हमारी तो पुरानी यादों में हुआ करती हैं / इंतज़ार में तो पलक पांवडे विछाना पड़ता है /रस्ते में कांटे लगे हुए गुलाब के फूल विचाना पढता है और ये कहना पड़ता है कि ""इन्तहा हो गई इंतज़ार की / साथ में यह भी कि "" न उनके आने का वादा , न यकीं न कोई उम्मीद ,मगर क्या करें गर न इंतज़ार करें
अच्छा िलखा है आपने । जीवन के सच को प्रभावशाली तरीके से शब्दबद्ध िकया है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है -आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-
6 comments:
इंतज़ार में आँखे नम क्यों हुई भाई / हमारी तो पुरानी यादों में हुआ करती हैं / इंतज़ार में तो पलक पांवडे विछाना पड़ता है /रस्ते में कांटे लगे हुए गुलाब के फूल विचाना पढता है और ये कहना पड़ता है कि ""इन्तहा हो गई इंतज़ार की / साथ में यह भी कि "" न उनके आने का वादा , न यकीं न कोई उम्मीद ,मगर क्या करें गर न इंतज़ार करें
bahot hi umda sher likha hai aapne .. meri gujarish hai ke aap se puri ghazal ki shakla den....
regards
arsh
bahut achchha hai.
अच्छा िलखा है आपने । जीवन के सच को प्रभावशाली तरीके से शब्दबद्ध िकया है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है -आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
बहुत अच्छा प्रयास ..........लिखते रहिये
आपको मेरी शुभ-कामनाएं
भूखी अँखियाँ,प्यासी अँखिया,
जाने क्या-क्या होती है ?
जब दिल में पीड़ा होती ,
ये चुपके-चुपके रोती है ।
Post a Comment