Friday, December 14, 2018

अगर चाहो तो इतमिनान से चाहो .... !

01

सब कुछ.. वक्त पे मत छोड़ 'उदय'
वक्त हर घड़ी रहमदिल नहीं होता !

02

यकीनन ये इम्तिहान उनका था
भले ही, कोई और फैल कर दिया गया है आज !

03

आईने का कुसूर तो आईना जानता है
आज तुझे अपने चेहरे को भांपना है !

( भांपना = आंकलन लगाना, अनुमान लगाना )

04

कुछ-कुछ ख्याल से हैं मिजाज तेरे
बदल जाते हैं बार-बार !

05

न आहट, और न ही कहीं कोई सरसराहट है
वक्त करवट बदल रहा है शायद ?

06

अगर चाहो तो इतमिनान से चाहो
झील हैं बहता दरिया नहीं हैं हम !

07

तनिक हार का गम तो हल्का कर लेते मियाँ
सरकारें तो.... हमेशा ही कटघरे में होती हैं !

~ उदय

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