01
काश, इश्क की भी कोई परिभाषा होती
हम पढ़ लेते, रट लेते
और
हू-ब-हू टीप देते
कुछ इस तरह ..
स्कूल की, प्रिंसिपल की, मास्टर की
सब की धज्जियाँ उड़ा देते
तुम तो क्या ..
गर, राधा भी सामने होती तो
हम, उसे भी प्रीत लेते !
~ उदय
02
क्या हम बगैर समझौते के साथ नहीं चल सकते
साथ नहीं रह सकते
कुछ अच्छाइयों, कुछ बुराइयों के साथ
यूँ ही .. बगैर रिश्ते के
जरूरी तो नहीं
कुछ रिश्ता हो, हम सोलह आने खरे हों
और, वैसे भी
हम, उम्र के जिस पड़ाव पे हैं
वहाँ
अहमियत ही क्या है रिश्तों की, पैमानों की ... !
~ उदय
03
भय ..
दहशत ..
खौफ ..
ड़र ..
आतंक ..
मायूसी ..
चहूँ ओर .. कुछ ऐसा ही माहौल हो गया है हुजूर
मुझे तो
लगभग हर चेहरे पे इंकलाब लिखा नजर आ रहा है
आप भी .. अपनी नजर पैनी करिए हुजूर
ये मौन क्रांति ...
शायद
अपनी ओर ही बढ़ रही है .... !!
~ उदय
04
उनकी .. हाजिर जवाबी भी लाजवाब है 'उदय'
झूठ पे झूठ .. झूठ पे झूठ .. फिर झूठ पे झूठ !
~ उदय
05
उनका .. पास से गुजरना ही काफी था
सारे ज़ख्म .... खुद-ब-खुद हरे हो गये !
~ उदय
काश, इश्क की भी कोई परिभाषा होती
हम पढ़ लेते, रट लेते
और
हू-ब-हू टीप देते
कुछ इस तरह ..
स्कूल की, प्रिंसिपल की, मास्टर की
सब की धज्जियाँ उड़ा देते
तुम तो क्या ..
गर, राधा भी सामने होती तो
हम, उसे भी प्रीत लेते !
~ उदय
02
क्या हम बगैर समझौते के साथ नहीं चल सकते
साथ नहीं रह सकते
कुछ अच्छाइयों, कुछ बुराइयों के साथ
यूँ ही .. बगैर रिश्ते के
जरूरी तो नहीं
कुछ रिश्ता हो, हम सोलह आने खरे हों
और, वैसे भी
हम, उम्र के जिस पड़ाव पे हैं
वहाँ
अहमियत ही क्या है रिश्तों की, पैमानों की ... !
~ उदय
03
भय ..
दहशत ..
खौफ ..
ड़र ..
आतंक ..
मायूसी ..
चहूँ ओर .. कुछ ऐसा ही माहौल हो गया है हुजूर
मुझे तो
लगभग हर चेहरे पे इंकलाब लिखा नजर आ रहा है
आप भी .. अपनी नजर पैनी करिए हुजूर
ये मौन क्रांति ...
शायद
अपनी ओर ही बढ़ रही है .... !!
~ उदय
04
उनकी .. हाजिर जवाबी भी लाजवाब है 'उदय'
झूठ पे झूठ .. झूठ पे झूठ .. फिर झूठ पे झूठ !
~ उदय
05
उनका .. पास से गुजरना ही काफी था
सारे ज़ख्म .... खुद-ब-खुद हरे हो गये !
~ उदय
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