Thursday, August 30, 2018

झूठे दिलासे ...

01

आओ, अभी तो आखिरी साँस तक साथ चलें
फिर देखेंगे, किधर जाते हैं ..................... ?

~ उदय

02

बिन लकीरों के इन हाथों में तुम उतर आये कैसे
सोचता हूँ तो
खुद पे यकीं नहीं होता

मगर ..

फिर
तेरे हाथों की लकीरों का भी तो ख्याल आ जाता है !

~ उदय

03

एक आदमी
जो अभी-अभी 'कलेक्टरी' छोड़ कर आया है

वह
हमारा तुरुप का इक्का है

जीत तय है ....
क्योंकि

अभी
हमारे पास और भी इक्के हैं !

~ उदय

04

कुछ खामोशियाँ चेहरे पे
क्यों ?

क्या कोई वजह नहीं है मुस्कुराने की
या चाहते नहीं हो मुस्कुराना

या फिर चाहते हो
कि
मैं कहूँ ...

मैं कहूँ, या न कहूँ

बस
तुम इतना समझ लो
कि
मैं चाहता हूँ कि तुम मुस्कुराओ ...

वजह जरूरी नहीं है
मैं चाहता हूँ .... !

~ उदय

05

उनके मिजाज कुछ मुझसे मिलते नहीं हैं
फिर भी वो मेरे साथ चल रहे हैं

तुम भी
मेरे साथ चलो

शायद, ख्वाबों के मिजाज मिल जाएं
या खामोशियों के !

~ उदय

06

बस
तुम
एक बार मेरी नजर से खुद को देखो तो सही

गर
खुद को खुद से प्यार न हो जाए तो कहना

ये
मेरी नजर है

जो
ठहर जाती है .. कहीं न कहीं .... !

~ उदय

07

न दुख, न दर्द, न दया, न करुणा, न मासूमियत

कुछ ऐसे मिजाज हैं,
मेरे महबूब के !

~ उदय

08

सच ..
उनके झूठे दिलासे भी काम कर रहे हैं

हमें, हम पर
एतबार होने लगा है !

~ उदय 

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