Saturday, September 9, 2017

वक्त का ठहराव

"वैसे तो ...
वक्त का ठहराव ...
जिन्दगी का ठहराव ...
वक्त और जिन्दगी दोनों का संयुक्त रूप से ठहराव ...

उपरोक्त ठहराव के पल जीवन के वे कठिन पल होते हैं जो मनुष्य को 'दिन में तारे दिखा देते हैं' .. दिन में तारे दिखा देना या देख लेना का आशय आप समझ रहे होंगे ....

कभी वक्त ठहर जाता है .. तो कभी जिन्दगी ठहर जाती है ... ऐसा अक्सर मानव जीवन में समय-समय पर होते रहता है .. इंसान समय-समय पर ऐसे दौर से गुजरता रहता है ... गुजर जाता है .... लेकिन .. किन्तु ...

वक्त और जिन्दगी दोनों का संयुक्त रूप से ठहराव ... बहुत कम देखने को मिलता है .. ऐसा अक्सर तब होता है जब इंसान किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाता ... गंभीर बीमारी / गंभीर विकलांगता .. इंसान के जीवन व वक्त दोनों में ठहराव ले आती है ...

ये ठहराव .. एक ऐसा ठहराव होता है जो इंसान को दिन में तारे दिखा देता है अर्थात वह सब सोचने को मजबूर कर देता है जो उसकी सोच रूपी डिक्शनरी में होता ही नहीं है ....

ठहराव पर .. विचार रखने के पीछे मेरा आशय आपको प्रवचन देना नहीं है वरन आपको सचेत करना है कि ... कहीं .. यदि ... आप अपने स्वास्थ्य के प्रति अपनी जीवन शैली में तनिक भी लापरवाह हैं तो सजग हो जाएँ ....

लापरवाही .... उफ्फ .....

तन और मन स्वस्थ्य है तो जान है .. जान है तो जहान है .... !"

5 comments:

pushpendra dwivedi said...

waah ati sundar badhiya khayaal



http://www.pushpendradwivedi.com/%E0%A5%9E%E0%A4%BF%E0%A5%9B%E0%A4%BE%E0%A4%93%E0%A4%82-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%9C%E0%A5%8B-%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%A4-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AA/

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर।

सदा said...

Anupam ....

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

अपनत्व भरी चेतावनी

skashliwal said...

Well said ...