Tuesday, May 9, 2017

हम समंदर हैं ...

हम थकते नहीं हैं .. हारते भी नहीं हैं ...
बस तनिक ठहर जाते हैं,

ज़रा इंतज़ार करो .. हम फिर से उठेंगें ...
तूफ़ाँ की तरह ... सैलाब की तरह,

यही तो फितरत है हमारी ...
वो हमारे खौफ से वाकिफ हैं .. मिजाज से वाकिफ हैं,

हम समंदर हैं ...
यही तासीर है हमारी ... यही मौज है हमारी ..... !