Thursday, February 2, 2017

फरेबी ...

सच ! आज फिर .. वो हमें .. कुछ याद से आ गए
पता नहीं, रूठ के हमसे... वो किस हाल में होंगें ?
...
सच ! आज जरुरत नहीं है आसमां में सुरागों की
कुछ पत्थर जमीं पर ही तबियत से उछालो यारो ?
...
न खता थी, न कुसूर था, मगर अफसोस 'उदय'
'खुदा' भी अब खामोश है.. सजा देने के बाद ?
...
वक्त गुजरा, कारवाँ गुजरा, अब तो गुबार भी गुजर गया
उफ़ ... मगर खामोशियाँ उनकी 'उदय' ..... ठहरी रहीं ?
...
न दिलों की बात कर, न जुबाँ की बात कर
सच 'उदय' .. हर राह .. वो फरेबी निकले ?

No comments: