Sunday, April 3, 2016

चूनेबाजी ...

चूनेबाजी ... !
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कुछ चेलों ने मिलकर
इक चेले को ... गुरु बनाया
पीठ थप-थपाई ... तिलक लगाया ... और गले में डाली माला
निकल पड़े फिर मिलकर
कत्था-चूना लेकर
देश की भाई अब खैर नहीं
लगना तय है चूना ?

~ श्याम कोरी 'उदय'

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