Thursday, July 23, 2015

करार ...

सच ! फिर से मिलने की शर्त पे, हुआ बिछड़ने का करार है
मगर अफसोस 'उदय', वक्त का, कहीं जिक्र तक नहीं है ??

2 comments:

Tamasha-E-Zindagi said...
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Tamasha-E-Zindagi said...

आपकी इस पोस्ट को शनिवार, २५ जुलाई, २०१५ की बुलेटिन - "लम्हे इंतज़ार के" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद। जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव।