Sunday, March 9, 2014

ठीकरा ...

एक बार, एकाद बार तुम हमें भी आजमा लो 
फिर, शायद, तुम्हारा… टेस्ट ही बदल जाए ?  
… 
बात उनकी नहीं है, और न ही उनकी बात है 
हमें तो लगता है सिक्के दोनों ही खोटे हैं ??
… 
जब सब अपनी-अपनी-अपनी पे हैं 
तो फिर 'उदय', वे भी अपनी पे हैं ? 
… 
सवाल ये नहीं है कि वो शेर हैं या नहीं 
सवाल ये है कि उनकी पूंछ कहाँ है ??
… 
गर, तमाम तरह के हथकंडों के बाद भी, वे नाकामयाब रहे तो 
'खुदा' ही जाने किसके सिर फूटेगा उनकी नाकामी का ठीकरा ?
… 

1 comment:

Arun sathi said...

सवाल ये नहीं है कि वो शेर हैं या नहीं
सवाल ये है कि उनकी पूंछ कहाँ है ??

वाह....पूरी तरह से आग उगलती रचना.....आभार