Thursday, September 19, 2013

जिद ...

तुम ऑन लाइन रहो या ऑफ लाइन हमें क्या 
बस, हलो-हाय ..…….....…… जारी रखना ? 
… 
चलो खुद को बेच दें, अभी कीमत मिल जायेगी अपनी 
नहीं तो, इस शहर में कीमतों पे खरीददारों का जोर है ? 
…  
लो, बोला तो कुछ ऐसा बोला, कि -
न बोलता तो ज्यादा अच्छा होता ?

शहर जाने की जिद न पालें
यहीं रहें और गाँव संभालें ?
गर मैं तेरा गुनहगार हूँ, तो फांसी चढ़ा दे 
पर, झूठी अफवाहों को… तू आग न दे ? 
… 

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