Wednesday, December 5, 2012

तमाशेबाज ...


हाँ ... मैं जानता हूँ 'उदय' 
मेरी चिता ...
की आग ठंडी भी नहीं होगी ...
उसके पहले ही ...
कोई चतुर व चालाक 'तमाशेबाज' 
मेरी आत्मा को ... 
शोकसभा व श्रद्धांजलि रूपी ... 
'मंत्रों' से ... सिद्ध कर लेगा !
और फिर ... 
वह ... 
मेरे सिद्ध लेखन के बल-बूते ...
अपने ... 
आलोचना व सम्पादन रूपी ...
'तमाशे' दिखा-दिखा कर 
खूब ... तमगे .... दुशाले .... ??

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