Wednesday, November 28, 2012

बंठाधार ...


उन्हें चिट्ठी लिखी, और खुद ही डर के फाड़ डाली 
मुहब्बत में 'उदय', ये दौर भी... देखा है हमने ?
... 
आज, बेहद हंसी मौक़ा है 'उदय', ............... दुकां सजाने का 
क्योंकि - कदम कदम पे उनको जीत के फार्मूलों की दरकार है ? 
... 
बेरुखी पे, तुम एतबार मत करना 
'रब' जानता है, मजबूरियां हमारी ? 
... 
वैसे तो उन्ने 'उदय', हमें बदनाम करने का बीड़ा उठाया था 
पर लग रहा है ऐंसे, जैंसे वे खुद का बंठाधार कर रहे हों ??
... 
इक दिन 'उदय', दलालों-औ-भ्रष्टाचारियों की भी मजारें होंगी 
लोग सिद्दत से, ...................... 'हुनर' की दुआएँ मांगेंगे ?

2 comments:

Unknown said...

उन्हें चिट्ठी लिखी, और खुद ही डर के फाड़ डाली
मुहब्बत में 'उदय', ये दौर भी... देखा है हमने ?

Very nice,...

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत सन्नाट..