Sunday, October 14, 2012

मम्मी-पापा ...


चहूँ ओर ... दुख ... 
और सिर पे, चिंता के बादल 
घिर आए हैं 
बच्चों की नादानी से 
मम्मी-पापा ... 
दोनों ... घवराये हैं !
अब करें, तो क्या करें वे 
यही विचार ... 
विचार रहे हैं ... दोनों 
कहीं नादानी - नादानी में 
सत्ता ... 
निकल न जाए हांथों से !!

1 comment:

मन्टू कुमार said...

बहुत खूब...आज के परिप्रेक्ष्य में उम्दा रचना |
इंग्लिस-विन्ग्लिश मूवी का एक पक्ष आपकी रचना से मिलती जुलती है |

सादर |