मायावी संसार ...
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ये तेरा, कैसा मायावी संसार है 'उदय'
एक ओर
लोगों को एयरकंडीशन में भी नींद नहीं आती
तो दूसरी ओर
गर्मी हमें सोने नहीं देती ?
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अनाथ ...
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आओ ...
हम ... एक दुकान खोलें
तुम
गुब्बारे, फुलो-फुलो कर बेचो !
और मैं
बरफ के रंगीन -
गोले बना-बना कर बेचता हूँ !!
इस तरह
हमारे इर्द-गिर्द
रोज ... बच्चे-ही-बच्चे रहेंगे
शायद
ऐंसा करने से, अपनी ...
अनाथ -
होने की पीड़ा भी दूर हो जाए ?
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संन्यास ...
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उन्होंने शर्त रख दी है 'उदय'
कि -
गर उन पर
आरोप भृष्टाचार के, सिद्ध हो गए
तो वो
राजनीति से संन्यास ले लेंगे !
पर
हम सहमती से डर रहे हैं !!
कि -
कहीं वे
कल इसी शर्त की आड़ लेकर
जेल जाने से न बच जाएं ?
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दाल-रोटी ...
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साहब ... माई-बाप ... दया करो
हम -
गरीब हैं ...
मजदूर हैं ...
किसान हैं ...
गर इसी तरह
रोज, हर रोज, मंहगाई बढ़ती रही
तो
हमें और हमारे बच्चों को
दाल-रोटी के भी लाले न पड़ जाएं ?
1 comment:
गहरे कटाक्ष..
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