अब ये तो 'खुदा' ही जानता है, क्या कमी थी हममें 'उदय'
क्योंकि, सजदे तो हमने भी किये थे ... किसी की चाह के !
...
अब क्या कहें, हम तेरी तन्हाई पे
कौन है, जो भीड़ में तन्हा नहीं ?
...
अब क्या कहें, 'रब' ही जानता है वक्त हमारा
कि - हम चाहकर भी, क्यूँ दूर हैं तुमसे ?
1 comment:
खुदा ही जाने..
Post a Comment