सुना है उन्हें कफ़न के सौदे में भी कमीशन की चाह थी
मगर अफसोस, उनकी किस्मत में जनाजा नसीब था !
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शान-औ-शौकत बेच के, कहाँ जा रहे हो यार
क्या कहीं ईमान का सौदा हुआ है ?
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ये तुम, आज किन उसूलों की जिद में अड़ रहे हो यार
उस दिन कहाँ थे जब तुमने ईमान का सौदा किया था ?
1 comment:
जिद पर अड़ा है, ईमान बचा है..
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