वक्त की ओट में बैठा रहेगा कब तक तू
बढ़ आगे, ये तूफां भी ठहर जाएगा !
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यहाँ पर कौन है जिसको ख्याल अपना है
जिसको देखो, वही खोया खोया है !
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यूँ न समझो कि तेरे झूठे इल्जाम से डर जाएंगे
मान जा, वर्ना ! तुझ पे भी एक इल्जाम लगा जाएंगे !!
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कहाँ फुर्सत किसी को है, जो बातें तेरी सुन लें
बहरे हो रहे हैं लोग, अब हंगामा जरुरी है !
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न रंज-ओ-गम होगें, न शिकवे-गिले होंगे
यकीं से आ गले लग जा, नहीं अब फासले होंगे !
3 comments:
uday bhai gzab ki taaqt hai jo tufaan ko rok diya hai jnaab ne bdhaai ho bhtrin rchnaa ke liyen . akhtar khan akela kota rajsthan
वक्त की ओट में बैठा प्यारे,
तूफाँ के पहले तू न गुजर जाये।
bahut achchi ghazal.
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