क्या करें, सत्ता हाँथ से जाते दिख रही है
आगे कुआ, तो पीछे खाई है !
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तुमने भी क्या खूब तमाशा खडा किया है यारो
ज़माना देख रहा है, कैसे कुछ बोलें, कैसे खामोश रहें !
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ये कैसी सल्तनत है, और कैसा अहंकार है 'उदय'
जिसे देखो वही, सत्ता के नशे में चूर दिखता है !!
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बड़े इत्मिनान से 'रब' ने तराशा है तुझे
सिर से पाँव तक, क़यामत सी लगे है !
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शान झूठी पर अहंकार सच्चा है
किले पे बैठ के, हुंकार भरता बच्चा है !
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