Monday, December 19, 2011

... नफ़रत भी हुई है !

कैसे कह दें, आशिकी से परहेज है हमको
कोई चाहता तो है, पर खामोश रहता है !
...
हे 'खुदा' ये मुहब्बत है, या कोई सजा है
धड़कनें तेज हैं, और बड़ी बेचैनियाँ हैं !!
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'खुदा' ही जाने, ये कैसी क़यामत है
उधर वो कुछ नहीं कहती, इधर हिम्मत नहीं होती !
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न जाने किन गुनाहों की सजा हमको मिली है
मुहब्बत भी हुई है, नफ़रत भी हुई है !
...
मिलो तो बेचैनी, न मिलो तो बेचैनी
कोई समझाए हमें, मुहब्बत का ये कैसा सबक है !

1 comment:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

मिलो न तुम तो हम घबराएं...