बाबुल के गाँव की -
तुलसी
पिया घर पहुँच के -
पीपल हुई है !
हुआ करती थी जो
खुद आँगन की रंगोली
पहुँच ससुराल वह -
पांव की मेंहदी हुई है !
दमकती थी जो
बन माथे की बिंदिया
पिया घर पहुँच के -
करधन में लटकी चाबी हुई है !
पूजी जाती थी जो
खुद गाँव में देवी की तरह
पिया घर पहुँच के -
वो आज पुजारिन हुई है !
फर्क देखो
बेटी और बहु में तुम 'उदय'
कहीं तुलसी -
तो कहीं पीपल हुई है !!
3 comments:
बहुत खूब !!!
फर्क देखो
बेटी और बहु में तुम 'उदय'
कहीं तुलसी -
तो कहीं पीपल हुई है !!
बहुत ख़ूबसूरत और सटीक अभिव्यक्ति..
bahut achchha bahut sadhi, sidhi, satik rachna
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