"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Friday, November 11, 2011
कहाँ हूँ, कहाँ नहीं हूँ मैं ...
कुछ हौसले कुछ ख्याल कुछ मंजिलें टटोल के देख ज़रा कहाँ हूँ, कहाँ नहीं हूँ मैं ! आज, इन हालात में गर तुम आके मिल लोगे मुझसे तो तुम्हारा क्या चला जाएगा ? आखिर जो कुछ भी है तुम्हारे पास सब मेरा दिया हुआ ही तो है !!
2 comments:
किसका किस पर क्या बाकी है
waah..gajab ka ehsaas se bhara hua...laazwab:)
Post a Comment