Friday, November 25, 2011

सर्टिफिकेट ...

मुद्दे की बात ये नहीं है
कि -
मैं
कवि हूँ
मुद्दे की बात तो ये है
कि -
मैं
कवि क्यूँ हूँ !

जब कविताओं की समझ नहीं है
कोई ज्ञान नहीं है
और तो और -
कोई पुराना अनुभव भी नहीं है !

चलो, ठीक है, मान लेते हैं
कि अनुभव नहीं है
अनुभव नहीं है तो नहीं है
फिर भी चल जाएगा !

पर यार, तू ही बता
बिना किसी के सर्टिफिकेट के -
इस लाइन में
तेरा काम कैसे चल पायेगा !

सर्टिफिकेट, कौन देगा ?
बहुत से घूम रहे हैं
खुद को गुरु, किसी का चेला
कहते, बोलते हुए
गुरु तो गुरु, चेले भी -
तैयार हैं, देने के लिए
सर्टिफिकेट, जय जयकार है !

3 comments:

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

भाई आप को मिल जाये तो बताना, एक ठो हम भी ले लेंगे ...........

अच्छा व्यंगय

Kailash Sharma said...

सटीक व्यंग...

प्रवीण पाण्डेय said...

सटीक कटाक्ष।