"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Sunday, October 23, 2011
काश ! तुम भी कुंवारे होते !!
कल रात तसलीमा रस्ते में मिल गई हॉट, सेक्सी, अर्द्धनग्न मगर अफसोस - अब क्या कहें ! मैंने कहा - मैडम, कहाँ जा रही हैं ? जवाब - जन्नत की सैर हो रही है इकहत्तर हो चुके हैं बस बहत्तरवे की तलाश है काश ! तुम भी कुंवारे होते !!
1 comment:
ओ तेरी तो!
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