Tuesday, October 25, 2011

दीवाली का बाजार ...

पूरे गाँव में दीवाली का शोर था
हर इंसान कुछ न कुछ खरीद रहा था
किसी ने नए नए कपडे खरीदे
किसी ने सोने-चांदी के जेवर खरीदे
किसी ने ज़मीन खरीदी
किसी ने मकान खरीदा
किसी ने साइकल, तो किसी ने कार खरीदी
बहुतों ने बहुत कुछ खरीदा
जी ने जो-जो चाहा वो-वो खरीदा
वहीं पर तीन आम इंसान भी खड़े थे -
एक किसान
एक मजदूर
एक नौकर
तीनों गुमसुम गुमसुम से सोच रहे थे
कि -
दीवाली का बाजार लगा है
बच्चों के लिए
कुछ न कुछ तो खरीद ही लेते हैं
तीनों ने -
एक-दूसरे का मुंह देखते हुए पूंछा -
बताओ, क्या बेच के, क्या खरीद लें ???

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

पुरानी चीजें निकालने से नयी चीजें मुफ्त मिलनी चाहिये।