Tuesday, October 11, 2011

जगजीत सिंह ... एक लम्बे सफ़र के लिए !!

मुसाफिर था, तेरी गलियों में,
घड़ी-दो-घड़ी के लिए
अब चल पडा हूँ, एक लम्बे सफ़र के लिए !

तेरी यादों में, रहेगा अब बसर मेरा
सदा सदा के लिए !

गुनगुनाते फिरा, सदा सदा
मैं गीत तेरे लिए
अब चल पडा हूँ, एक लम्बे सफ़र के लिए !

याद आऊँ, तो तुम
गुनगुना लेना
गीत बन गया हूँ, अब मैं तुम्हारे लिए !

सदा सदा के लिए
अब चल पडा हूँ, एक लम्बे सफ़र के लिए !!

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

कहाँ तुम चले गये।