"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Friday, September 16, 2011
गुरु की महिमा ...
सत्य के पथ पर चलते चलते मिलते कुछ अंधियारे हैं ! सांथ गुरु की कृपा हो तब हो जाते उजियारे हैं ... गुरु की महिमा गुरु ही जाने भक्त तो बढ़ते रहते हैं चलते चलते बढ़ते बढ़ते मंजिल में मिल जाते हैं !!
2 comments:
मंजिल तक पहुँचाने में गुरु की अहम् भूमिका होती है . आपने बहुत सरल एवं सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है , बधाई !
राह दिखाती गुरु की वाणी।
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