हम
उस ओर देखते हैं
जिस ओर आरजू है !
हम
उस ओर दौड़ते हैं
जिस ओर जिन्दगी है !
हम
उस ओर पलटते हैं
जिस ओर रास्ते हैं !
हम
उस ओर ठहरते हैं
जिस ओर ज्ञान है !
हम
उस ओर लपकते हैं
जिस ओर चाहतें हैं !
हम
उस ओर उमड़ते हैं
जिस ओर आसरे है !
हम हैं
ये हम हैं
सच ! ये हम ही है !!
3 comments:
nice post
आप अपनी ओर नहीं देख पाते हैं।
आज तो दाद आपके साथ प्रवीण जी को भी देनी पड़ेगी..
Post a Comment