हम तो कह रहे हैं
आओ, चलो, लड़ लो, भिड़ लो
चुनावी अखाड़े में ...
पर
ये -
अनशन
आन्दोलन
नारेबाजी
भीडबाजी
चक्कर
घनचक्कर
जंतर-मंतर
रामलीला मैदान
जन लोकपाल बिल
पास-फ़ैल
अच्छी बात नहीं न है !
रोज-रोज
हमें
डराते-धमकाते फिरते हो -
कालेधन
विदेशी बैंक
भ्रष्टाचार
जन लोकपाल
राईट टू रिजेक्ट
राईट टू रिकाल
जनसंसद
ये नौकर - हम राजा
जैसे, दांव-पेंच, फार्मूले, टिका-टिका कर !
चलो, माना, मान लेते हैं
कि -
तुम, सही हो
सही हो तो इसका मतलब ये तो नहीं है
कि -
तुम, हमें
सुबह-शाम, रात-दिन, हर पहर
यूं ही, डराते-धमकाते ...
गर
दम-ख़म है
तो आओ, आ जाओ
लड़ने को, पटका-पटकी को
हम तैयार हैं, चुनावी अखाड़े में ...
तुम राजा हो, तो हम भी, राजाओं के राजा हैं ... !!
1 comment:
सबके अपने दंगल, सबके अपने दाँव।
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