Wednesday, August 17, 2011

ये कैसा तंत्र है, कैंसे लोग हैं !!

एक तरफ
एक ईमानदार
तो दूजी तरफ बेईमान हैं !
एक तरफ
कोई भूखा-प्यासा
तो दूजी तरफ भरे पेट हैं !!

फिर भी, फर्क है
दोनों तरफ
कोई अपने लिए !
तो कोई अपनों के लिए
लड़ रहा है !!

कुछ लोग
खुले हवा महल में
आपस में, अपने अपने लिए
लड़-भिड़ रहे हैं !
तो कोई
खुले आसमां तले
अपनों के लिए कुर्बान है !!

ये कैसा तंत्र है ?
कैंसे लोग हैं ?
कैंसी सोच हैं ?
कैंसी विचारधाराएँ हैं ?
कैंसी धारणाएं हैं ?
कैंसी जिज्ञासाएं हैं ?
कैंसी मंशाएं हैं ?
कैंसी लालसाएं हैं ?
कैंसी नीतियाँ हैं ?
कौन समझे, कौन समझाए !
ये कैसा तंत्र है, कैंसे लोग हैं !!

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

कबिरा, इस संसार में।

संगीता पुरी said...

कौन समझे, कौन समझाए
ये कैसा तंत्र है, कैंसे लोग हैं !!