Friday, July 22, 2011

रोटी ...

भूख न होती, रोटी होती
तुम भी होते, हम भी होते
टुकड़ा टुकड़ा करते रोटी
तुम भी खाते, हम भी खाते !

भूख होती, रोटी न होती
तुम भी होते, हम भी होते
तरश्ते, बिलखते, सिकुड़ते
तुम भी रोते, हम भी रोते !

भूख होती, रोटी भी होती
तुम भी होते, हम भी होते
रोटी रोटी, टुकड़ा टुकड़ा
तुम भी लड़ते, हम भी लड़ते !!

6 comments:

लीना मल्होत्रा said...

kadva sach

Kailash Sharma said...

एक कटु सत्य की बहुत सटीक प्रस्तुति..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सत्य को कहती सटीक रचना ..यही होता है ..जब रोती भी और भूख भी तो आपस में लड़ाई ही हो जाती है .. अच्छे बिम्ब लिए हैं

परमजीत सिहँ बाली said...

कटु सत्य!

संजय भास्‍कर said...

कडवे सच को प्रस्तुत करती ...... संवेदनशील प्रस्तुति..

प्रवीण पाण्डेय said...

रोटी भी है, भूख भी है, धैर्य नहीं बस।