Wednesday, July 13, 2011

खट्टी-मीठी, मीठी-खट्टी !!

कितना होता, अच्छा यारा
न तुम रोते, न मैं रोता
खट्टी-मीठी, मीठी-खट्टी
बातें होतीं, राते होतीं !
दोनों मिल के बातें करते
तुम भी हंसते, मैं भी हंसता !
भीड़ न होती, शोर न होता
तुम भी गाते, मैं भी गाता !
हंसते-गाते, गाते-हंसते
जीवन अपना, चलता जाता !
तुम भी थोड़े पागल होते
मैं भी थोड़ा पागल होता !!

2 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर भावमयी रचना..

प्रवीण पाण्डेय said...

यही पागलपन आनन्द बढ़ाता है।