कभी मिट्टी, कभी सोना, कभी कुछ और होता है
अगर होता भी है पत्थर, तब तू 'रब' होता है !
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उफ़ ! न तो बेचे गए, और न ही खरीदे गए
मोल जिस्म का लगा, जज्बात अनमोल रह गए !
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सच ! तुम्हारा रंग, कहां मिलता है, रंग से मेरे
तुम आसमानी हो, और मैं ठहरा, रंग काला !
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उठा नजर, मत देख मेरे हांथों को
देख सकती है तो देख, दिल ही 'गुलाब' है मेरा !
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किसी ने छिपा ली है नजर, देख कर मुझको
बा-अदब देखती है, छिप-छिप कर मुझको !
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जन्म, कर्म, फल, लकीरें, और रंग दुनिया के
कहीं बेरंग दिखती है, कहीं सतरंगी है दुनिया !
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गर होतीं जेब कफनों में, फिर मुर्दे दफ़्न न होते
पड़े होते, सड़े होते, दर और दीवार में सब !
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जिन्दगी के सफ़र में, हर घड़ी, रुतें बदलती हैं
कभी देखो तो उलझन है, कभी आशाएं ढेरों हैं !
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सच ! न गोली है, न बम है, और न ही है तोप का गोला
अगर कुछ है, लेखन में, तो कविता, है आग का शोला !
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काश ! मैं इतना पढ़ा होता, तेरे शब्दों को समझ लेता
फिर इंग्लिश भी मैं पढ़ लेता, हिन्दी भी मैं पढ़ लेता !
4 comments:
भाषाओं से बड़े कठिन हैं भावों के शब्द।
उफ़ ! न तो बेचे गए, और न ही खरीदे गए
मोल जिस्म का लगा, जज्बात अनमोल रह गए !
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Anmol kathy. Thanks brother.
भावों की उत्तम अभिव्यक्ति।
उतम प्रस्तुति के साथ ...हर शेर बहुत उम्दा ...बहुत खूब
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