Saturday, April 9, 2011

... वे क्या देश का भला करेंगे, जो लुटेरों के सरताज हैं !!

रश्में तो निभानी ही थीं, रिश्तों के रिवाज में जो बंधे थे
उफ़ ! करते भी क्या, कोई धोखा देता रहा, सहते रहे !
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जंग जब छिड़ ही गई है, तो चलो लड़ते रहो
हौसले पर जंग भारी, न पडी थी न पड़ेगी !
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सितम तेरे जारी भी रहे, दिल मेरा धड़कता भी रहा
उफ़ ! करते भी क्या, तेरी दुनिया से हम दूर चले !!
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अब जीतें या हार जाएं, गम नहीं होगा
जंग तो अब छिड़ गई है, जारी रहेगी !
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हुस्न की आदत है अदाएं झलका कर, इतराने की
सच ! चलो कोई बात नहीं, फिर भी हमें प्यार है !
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अब तुम कब्र पे मेरी, बेवजह आया करो
जख्म जो तुमने दिए थे, अब भरने लगे हैं !
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जब दागियों को देख के, खून अपना खौलने लगे
तो समझो, ऐसे लोगों को देखते रहना गुनाह है !
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सच ! लूटपाट है मकसद जिनका, सत्ता उनके हांथ है
वे क्या देश का भला करेंगे, जो लुटेरों के सरताज हैं !

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